पचवस -ऐसा गॉंव जहाँ सैनिक जन्म लेते हैं
जब हम इस गाँव के अतीत में झाकते हैं तो पता चलता है की इब्राहिम लोदी के शासन काल में उन्नाव जनपद से कुछ राजपूत परिवार आकर फैज़ाबाद जनपद के बनबीरपुर गाँव में आकर बस गए। कालांतर में उन्नीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में ५ राजपूत परिवार परीस्थिवस बनबीरपुर छोड़ कर पचवस आ गये। सन १८४० तक पचवस गाँव का पूर्ण स्वामित्व रानी तालेश्वरी कुंवरी के नाम था। रानी के मरने के बाद इस गॉंव की सारी जमीन ग्राम में बसे लोगों को बाँट दिया गया।
सम्प्रति उत्तर प्रदेश जनसंख्या की द्रष्टि से देश का सबसे बड़ा प्रदेश हैं। देश की आजादी की लड़ाई से लेकर आज एक राष्ट्र रक्षा के मामले में इस प्रदेश के बहादुरों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया हैं और दे रहे हैं। प्रदेश में कुछ गाँव ऐसे है जहाँ जन्म लेने के बाद किशोरवस्था में आते आते नवयुवक राष्ट्र सेवा के लिए प्रतिदिन भाग दौड़ करता रहता हैं .गाजीपुर जिले का गमहर एक ऐसा गॉंव है जहाँ के लोग बहुत बड़ी संख्या में भारतीय सेना में हैं।
आबादी के हिसाब से गमहर सबसे छोटा गॉंव हैं। इसी काम में बुलंदशहर जिले का शिकारपुर का नाम आता है.इस गॉंव से कितने सैनिक सेना में है उसको तो हम नहीं बता सकते हैं लेकिन हमने आज तक सीखा है की इनकी संख्या हज़ारो में हैं। इस गॉंव और सैनिको के परिवारों के विकाश के लिए बहुत अच्छी अच्छी योजनाएँ सरकार ने लागु किये हैं काश ये योजनाए हर गॉंव के लिए सरकार लागु करे। इसमेसे एक गॉंव पचवस हैं जो की राष्ट्रीय राजमार्ग २८ पर बसा हुवा है। अयोध्या से २२ किलोमीटर पूर्व और जिला बस्ती मुख्यालय से ४० किलोमीटर की दुरी पर हैं। यहाँ का हर एक घर सैनिको का घर हैं इसलिए इसको सैनिको का गॉंव भी कहाँ जाता हैं।
जब हम इस गॉंव की अतीत की तरफ झांकते है तो मालूम होता है की इब्राहिम लोदी के शासन काल में उन्नाव जनपद से कुछ राजपूत परिवार आकर फैज़ाबाद जनपद के बनबीरपुर गाँव में आकर बस गए। कालांतर में उन्नीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में ५ राजपूत परिवार परीस्थिवस बनबीरपुर छोड़ कर पचवस आ गये। सन १८४० तक पचवस गाँव का पूर्ण स्वामित्व रानी तालेश्वरी कुंवरी के नाम था। रानी के मरने के बाद इस गॉंव की सारी जमीन ग्राम में बसे लोगों को बाँट दिया गया। इस गॉंव के नाम और उत्पत्ति के पीछे एक कहानी छिपी हुई हैं
ऐसा कहा जाता हैं की श्रीराम माता जानकी से विवाह करके लौट रहे थे जब इस गॉंव के पास पहुंचे तो उनके पैर में चने की खूंटी गड गई और माँ जानकी के पैरो से रक्त निकलने लगा जिसके वजा से माँ जानकी ने श्राप दे दिया इस गॉंव को की कोई भी व्यक्ति चने की खेती नहीं करेगा और जो करेगा उसका अनिष्ट हो जायेगा।
उस गॉंव को ५ घोड़े भी थे जो ऋषि थे किसी श्राप के कारन वो घोड़े बन गए थे। इन घोड़ो ने भगवान् श्रीराम से बिनती की अगर चना नहीं होगा तो हम भूके मर जायेंगे और फिर करूणानिधि श्रीराम भगवान् ने इन्हे पुनः से ऋषि बना दिया और फिर इस गॉंव का नाम पांच अश्व पड़ा बाद में बिगड़ते बिगड़ते पचवस हो गया

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