चिट्ठियों का अस्थितव आज भी मौजूद हैं
संचार क्रांति के मौजूदा दौर में 118 करोड़ से अधिक फोनों के साथ भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा दूरसंचार बाजार बन चुका है। फिर भी भारतीय डाक से करीब 635 करोड़ डाक सामग्रियां आ रही हैं, जिनमें 568 करोड़ सामान्य चिट्ठियां है। लेकिन इन चिट्ठियों में वैयक्तिक चिठ्ठियों की संख्या लगातार कम हुई है। दुनिया में संचार का सबसे पुराना साधन चिट्ठियां ही रहीं और उऩका बहुत पुराना इतिहास रहा है। अंग्रेजों ने आधुनिक डाक व्यवस्था 1854 में खड़ी की तो सालाना एक करोड़ 20 लाख चिट्ठियों की आवाजाही थी जो संचार क्रांति के दस्तक देने के दौरान 1550 करोड़ तक पहुंच गयी। चिट्ठियों के आधार पर तमाम भाषाओं में जाने कितनी किताबें लिखी गयी हैं। चिट्ठियों की सबसे बडी विशेषता आत्मीय पक्ष रहा है और इन्होंने लंबी चौड़ी दूरियों को पाट कर तमाम सभ्यताओं को एक दूसरे के करीब पहुंचाया।
भारत जैसे विशाल देश में जहां एक जैसे दर्जनों नाम हों, उन इलाकों को तलाश कर चिट्ठी सही ठिकाने तक पहुंचाना सरल नहीं रहा। भारत के कई हिस्सों में राज्य सभा टीवी की जमीनी पड़ताल बताती है कि व्यक्तिगत चिट्ठियां आज भले खतरे में हों लेकिन उनको बचाने की मुहिम भी जारी है। राज्य सभा टीवी की विशेष सीरीज भारतीय डाक की तीसरी कड़ी।
संचार क्रांति के मौजूदा दौर में 118 करोड़ से अधिक फोनों के साथ भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा दूरसंचार बाजार बन चुका है। फिर भी भारतीय डाक से करीब 635 करोड़ डाक सामग्रियां आ रही हैं, जिनमें 568 करोड़ सामान्य चिट्ठियां है। लेकिन इन चिट्ठियों में वैयक्तिक चिठ्ठियों की संख्या लगातार कम हुई है। दुनिया में संचार का सबसे पुराना साधन चिट्ठियां ही रहीं और उऩका बहुत पुराना इतिहास रहा है। अंग्रेजों ने आधुनिक डाक व्यवस्था 1854 में खड़ी की तो सालाना एक करोड़ 20 लाख चिट्ठियों की आवाजाही थी जो संचार क्रांति के दस्तक देने के दौरान 1550 करोड़ तक पहुंच गयी। चिट्ठियों के आधार पर तमाम भाषाओं में जाने कितनी किताबें लिखी गयी हैं। चिट्ठियों की सबसे बडी विशेषता आत्मीय पक्ष रहा है और इन्होंने लंबी चौड़ी दूरियों को पाट कर तमाम सभ्यताओं को एक दूसरे के करीब पहुंचाया।
भारत जैसे विशाल देश में जहां एक जैसे दर्जनों नाम हों, उन इलाकों को तलाश कर चिट्ठी सही ठिकाने तक पहुंचाना सरल नहीं रहा। भारत के कई हिस्सों में राज्य सभा टीवी की जमीनी पड़ताल बताती है कि व्यक्तिगत चिट्ठियां आज भले खतरे में हों लेकिन उनको बचाने की मुहिम भी जारी है। राज्य सभा टीवी की विशेष सीरीज भारतीय डाक की तीसरी कड़ी।
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