सरकार ने मनमोहन सिंह को दी गई एसपीजी की सुरक्षा वापस ले ली है।

सरकार ने मनमोहन सिंह को दी गई एसपीजी की सुरक्षा वापस ले ली है।


आंखों पर काले चश्मे, फौलाद सा शरीर, तेज़ तर्रार दिमाग़, अत्याधुनिक हथियार से लैस...और चौंकन्ने इतने की परिंदा भी पर नहीं मार पाए....जी हां हम बात कर रहे हैं हमारे एसपीजी कमांडोज़ की.... बेहद सजग ये कमांडो हर मुसीबत में ढाल बन जाते हैं.. और जान की बाज़ी लगाकर सुरक्षित निकालने का हुनर रखते हैं.. प्रधानमंत्री समेत देश के कुछ अति विशिष्ट व्यक्तियों को ही इनकी सुरक्षा मिलती है।

हमारे एसपीजी के कमांडो अदम्य साहस का प्रतीक हैं... इनके सुरक्षा घेरे में अनूठा सुरक्षा प्रोटोकॉल होता है.... एसपीजी के सुरक्षा घेरे में सेंध लगाना आसान नहीं है। देश के आज़ाद होने के बाद से प्रधानमंत्री की सुरक्षा पर लगातार मंथन होता रहा। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद देश को एक विशेष सुरक्षा एजेंसी की ज़रूरत हमसूस हुई और साल 1985 में स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप यानी एसपीजी की स्थापना की गई। एसपीजी के अलावा भी कई और प्रकार की सुरक्षा एजेंसियां होती हैं.. जैसे आपने नाम सुने होंगे ज़ेड प्लस, ज़ेड, और वाय सिक्योरिटी...जो देश के कई वीआईपी और वीवीआईपी व्यक्तियों को दी जाती है...अपनी प्रतिबद्धता और खतरों से निपटने में अपनी कुशलता से एसपीजी ने विशेष ख्याति अर्जित की है।


ताज़ा मामला पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का है...केंद्र सरकार ने मनमोहन सिंह को दी गई एसपीजी की सुरक्षा वापस ले ली है। गृह मंत्रालय ने अब उन्हें केंद्रीय सुरक्षा बल का सुरक्षा कवर यानी जेड प्लस देने का फैसला किया है। ‘जेड प्लस’ सुरक्षा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की ओर से दिया जाने वाले उच्चतम सुरक्षा कवर में से एक है।


मनमोहन सिंह यूपीए शासनकाल 10 साल प्रधानमंत्री रहे हैं। फिलहाल वे राज्य सभा सांसद हैं। आज विशेष के इस अंक में हम बात करेंगे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सुरक्षा के ताज़ा मामले की... जानेंगे क्य़ा है एसपीजी...साथ ही सीथ अन्य सुरक्षा एजेंसियों को भी समझेंगे.




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