महाराष्ट्र के पालघर में पुलिस की उपस्थिति में जूना अखाड़ा के 2 संत जिनका नाम कल्पवृक्ष गिरि , सुशील गिरि सहित उनके ड्राइवर की जंगली भीड़ द्वारा घेरकर गुरूवार को लाठी,डंडे,ईंट पत्थर से पीट पीट कर वीभत्स हत्या कर दी गई....उक्त हत्या कांड को घटे आज तीसरा दिन है...लेकिन कही कोई शोर नही...कहीं कोई न्यूज नही...किसी चैनेल ने स्क्रीन काला नही किया...किसी चैनेल पर कोई बहस नही.........क्योंकि ये संत तो भगवा धारक थे...कौन शोर मचायेगा.....वो भी महाराष्ट्र मे...जहां के शेर के घर जन्मे कपूत ने पिछले साल खुलेआम खतना करा लिया है...वो तो धन्य है सोशल मीडिया,जिसने न केवल हत्याकांड की वरन् फोटो और वीडियो से हत्यारों तक की पोल खोल दिया,वरना महाराष्ट्र की कायर सरकार ने तो पचाने मे कोई कसर नही छोड़ी है.........!!!
लेकिन यही सब अगर अखलाक,जुनैद,तबरेज,जॉन के साथ हुआ होता....तब आप देखते कैसे राजनीति के दोगले छाती पीट पीट कर सियापा करते...कैसे सेकुलर,लिबरल,लुटियन रूदालिया बुर्का उठा उठा कर ड्रम भर भर कर आंसू चुआती फिरती....कजरीलाल,कांग्रेस का संकर परिवार,कम्युनिस्ट और मीडिया के भांडो मे पहले पहुंच कर सड़क पर लोट लोट कर विलाप करने की होड़ मच चुकी होती...चैनलो की स्क्रीन और मुंह दोनो काले करने का मुकाबला शुरू हो चुका होता....मुआवजे की लाखों की रकम,फ्लैट और नौकरी देने मे एक दूसरे से आगे निकलने की अफरा तफरी मची होती......लोकतंत्र खतरे मे आ चुका होता...संविधान की दुहाई देने वाले लोटन कबूतर लोट लोट कर मोदी सरकार को कोसना शुरू कर देते...बहरहाल यह सब देख कर खंखार कर दोगले नेताओं और उनकी कुटिलता देख कर थूकने का मन होता है.....!
बहरहाल मैं मानसिक और वैचारिक रूप से दरिद्र सेक्यूलरों,लिबरलो,लुटियनो,कागियों,वामियों,आपियों,सापियों से पूछता हूं क्या ये लींचिंग नहीं है?
अगर ये लिंचिंग नहीं है तो और किसे कहते हैं माबलिंचिंग।
क्या सिर्फ शांतिदूत के पिटने को ही लींचिंग माना जाएगा,लेकिन वो किसी को भी पीट दें जान से मार दें वो लिंचिंग में नहीं आता क्या ??
आखिर कब तक गजनवी से लेकर औरंगजेब तक की क्रूर मानसिकता को भारत का बहुसंख्यक केवल एक पक्षीय सहिष्णुता के कारण ढ़ोता फिरेगा....कब तक देश को सीरिया बनते देख कर चुप रहेगा...कब तक ISIS की क्रूरता को गंगा जमुनी तहजीब के नाम पर सहन किया जायेगा...कब तक वो बर्बरता करके विक्टिम कार्ड खेलते रहेगे....कब तक देश का हिंदू समाज ही नही उसके साधू संत दोयम दर्जे के नागरिक बन कर भेड़ियों के शिकार होते रहेंगे...आखिर कब तक ये होता रहेगा...कब तक??
फिलहाल..पूरा विश्वास है कि इन निरीह साधुओं का श्राप ठाकरे के राजनैतिक अस्तित्व को समूल नष्ट कर देगा...!!
हमारे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का कहना हैं की ये ग़लतफ़हमी के चलते हुआ हैं.
हमारे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का कहना हैं की ये ग़लतफ़हमी के चलते हुआ हैं.

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