ग्लोबल टाइम्स कहता है कि Xiaomi, Oppo और Vivo भारत में ये सभी घरेलू नाम की तरह हैं. इन मोबाइल ब्रांडों ने भारत में प्रोत्साहन नीतियों के माध्यम से नहीं बल्कि जोरदार प्रतिस्पर्धा और उपयोगकर्ताओं को न्यूनतम लागत पर सर्वोत्तम उत्पाद प्रदान करके प्रवेश किया है.
चीन के साथ सीमा पर बने तनावपूर्ण माहौल के बीच केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सुरक्षा और निजता का हवाला देते हुए एक दिन पहले चीन के 59 ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया. भारत के इस कदम पर चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने चेताया कि इस पाबंदी से भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स को नुकसान होगा, साथ ही दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ेगा.
चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि भारत और चीन के बीच पिछले दिनों हुए गतिरोध ने दुनियाभर में सुर्खियां बनीं, खासकर तब जब यह हिंसक हो गया और दोनों तरफ से दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटनाएं हुईं.
अखबार लिखता है कि हालांकि, दोनों तरफ से शांत दिमाग के साथ तनावपूर्ण स्थिति को कम करने की कोशिश होनी चाहिए थी, लेकिन हमने भारतीय मीडिया के एक हिस्से की बहुत अलग प्रवृत्ति देखी. मुख्यधारा की मीडिया की ओर से राष्ट्रवादी माहौल बनाया जा रहा है जो राष्ट्रवादी उन्माद में बदलने की क्षमता रखता है.
अखबार के मुताबिक, हालांकि दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं बॉर्डर पर हुई हैं, लेकिन युद्धोत्तेजक लोगों के लिए यह अवसर में नहीं बदल जाना चाहिए.
करोड़ों उपयोगकर्ता होंगे प्रभावितः ग्लोबल टाइम्स
अखबार ने कहा कि भारत सरकार ने सुरक्षा और लोगों की निजता का हवाला देते हुए सोमवार को चीन के 59 ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया था.
Xiaomi, Oppo और Vivo भारत में ये सभी घरेलू नाम हैं. इन मोबाइल ब्रांडों ने भारत में प्रोत्साहन नीतियों के माध्यम से नहीं बल्कि जोरदार प्रतिस्पर्धा के माध्यम से और उपयोगकर्ताओं को न्यूनतम लागत पर सर्वोत्तम उत्पाद प्रदान करके प्रवेश किया है.'
'अब नंबर्स पर एक नजर डालते हैं जो काफी असाधारण हैं. डिजिटल रिसर्च फर्म काउंटरपॉइंट के एक विश्लेषक तरुण पाठक कहते हैं कि यह आदेश भारत में हर तीन स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं में से एक को प्रभावित करेगा. शीर्ष रिसर्च फर्म के अनुसार, टिकटॉक, क्लब फैक्ट्री, यूसी ब्राउजर और अन्य ऐप्स के मई 2020 में 50 करोड़ से अधिक मंथली एक्टिव यूजर्स थे. कुछ अन्य विशेषज्ञों का अनुमान है कि इन 59 ऐप्स के एक्टिव यूजर्स की कुल संख्या 80 करोड़ से ज्यादा हो सकती है.'
चीनी अखबार कहता है कि भारत एक संप्रभु राज्य के रूप में अपने नागरिकों की डाटा गोपनीयता सुनिश्चित करने का अधिकार रखता है, लेकिन ऐसा करने के कई अन्य तरीके हैं. उदाहरण के रूप में टिक टॉक को लें. यदि भारत के पास कंपनी के डेटा हैंडलिंग के बारे में कोई वैध चिंता थी, तो वह टिक टॉक और अन्य ऐप्स कंपनियों को अपने भारतीय सर्वर को भारतीय अधिकारियों के नियमों के तहत लाने के लिए भारत में अपने डेटा सर्वर को स्थानांतरित करने के लिए कह सकता था.
यह सही कदम नहीं: ग्लोबल टाइम्स
अखबार में लिखा है कि डिजिटल टेक्नोलॉजी के युग में दुनियाभर में लॉकडाउन के दौर में मोबाइल ऐप्स एक लग्जरी चीज की जगह यूजर कमोडिटी के रूप में स्थापित हो चुका है. टिक टॉक और शेयर इट जैसे वैश्विक ऐप्स को बैन करने से न केवल इन कंपनियों पर बल्कि इन कंपनियों के लिए काम करने वाले हजारों भारतीय आईटी कर्मचारियों पर भी असर पड़ेगा.
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