राजस्थान विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया ने रविवार को कहा कि सरकार बहुमत में है या नहीं, इसका निर्णय सदन में शक्ति परीक्षण से ही होगा।


राजस्थान विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया ने रविवार को कहा कि सरकार बहुमत में है या नहीं, इसका निर्णय सदन में शक्ति परीक्षण से ही होगा।

उन्होंने कहा कि राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच शनिवार को हुई वार्ता पर केवल कयास लगाए जा सकते हैं। मुख्यमंत्री ने सरकार को समर्थन दे रहे विधायकों की सूची दी होगी अथवा राज्य में चल रहे राजनीतिक संकट के समाधान के बारे में चर्चा की होगी।

कटारिया ने कहा कि जो भी हो, लेकिन सच्चाई यह है कि केवल सदन में शक्ति परीक्षण से ही यह तय होगा कि सरकार बहुमत में है या नहीं।

उन्होंने आगे कहा कि जिस तरह से फोन टैपिंग हो रही है, वह एक सामान्य नागरिक के अधिकारों पर हमला है और सारी सरकार सब काम छोड़कर केवल होटल में बंद होकर बैठी है।



कटारिया ने कहा कि प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगे, भाजपा का ऐसा कोई विचार नहीं है। अभी कल के फैसले के बाद आगे क्या स्थिति बनती है, कांग्रेस में जो दो गुट हुए हैं, उसके बाद क्या होता है, क्या नहीं, यह पता चलने के बाद ही कुछ विचार किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि 19 विधायकों की योग्यता के निर्णय के बाद यदि सरकार शक्ति परीक्षण के लिए राज्यपाल से आग्रह करती है तो वह इसपर विचार कर सकते हैं।

सदन में प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि जनता द्वारा नकारे जाने और दिल्ली विधानसभा का चुनाव हारने के बाद राजस्थान में चल रहे राजनीतिक ड्रामे में कांग्रेस नेता अजय माकन को नई नियुक्ति दी गई है।

उन्होंने कहा कि जो ऑडियो मुख्यमंत्री निवास से उनके विशेषाधिकारी ने जारी किया है, उससे सवाल उठता है कि किस अधिकार से जनप्रतिनिधियों के टेलीफोन टैप हुए।

राठौड़ ने कहा कि सारे कानून कायदों को ताक पर रखकर राज्य सरकार ने यह बेजा हरकत की है। कांग्रेस के नेताओं को भाजपा की मांग को पूरा करना चाहिए।

उन्होंने कहा यदि वह चाहे तो इसकी जांच सीबीआई को सौंपी जा सकती है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने कहा कि राज्य में अस्थिरता भी है, संवैधानिक संकट भी है...क्या होगा, यह भविष्य के गर्भ में है लेकिन आपातकाल जैसी परिस्थितयां राजस्थान की सरकार ने निश्चित रूप से पैदा कर दी हैं।

पूनियां ने कहा कि विधानसभा सत्र आवश्यकता के अनुसार बुलाया जा सकता है। राज्यपाल को संवैधानिक अधिकार हैं लेकिन सामान्य तौर पर 21 दिन का नोटिस दिया जाता है। परिस्थितयां क्या बनती हैं, सब इसी पर निर्भर करेगा।

उन्होंने कहा कि गहलोत खेमे में कुछ लोगों को निर्दलीय विधायकों, क्षेत्रीय पार्टी के विधायकों को जबरन रोककर रखा गया है और उन्हें नहीं लगता है कि सरकार के पास बहुमत है, इसलिए सरकार भयभीत भी है।

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