149 साल बाद लग रहा है ऐसा चंद्रग्रहण 16 /17 जुलाई को जाने ऐसा क्यों होता है ?
वस्तुत: ग्रहण भूच्छाया में प्रवेश व चंद्र बिम्ब के आड़ होने से होता है। यह बात भारतीय विदयानो ने सबसे पहले जानी थी तथा संसार को पढ़ाई है। पुराणों में ये बात आयी है। वे भी अपनी जगह सही है ,उनका उपहास करके ,छात्रों का बुद्धिभेद करके पूर्वजो को तथा कथित लोग अयग भ्रांत ,प्रमादी कहने का अनुचित साहस करक कार्य है शिक्षा में सुधार करना चाहिए ,सब लोग अनेक वषो से कहते हैं करते नहीं है आप इस भ्रम में न पड़े शास्त्र कहता है वैसा करे आप का कल्याण होगा
चंद्रग्रहण आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा ,मंगलवार दिनांक १६ /१७ जुलाई सन २०१९ को उत्तराषाढ़ नक्षत्र ,धनु राशि पर लगने वाला खंड चंद्रग्रहण भारत में द्रश्य होगा। भारत के अतिकृत यह चंद्रग्रहण अफ्रीका, ऑस्ट्रिलिया ,यूरोप। तथा दश्रिण अमेरिका के अधिकांश भाग में दिखाई देगा। न्यूज़ीलैण्ड का कुछ भाग,ओस्ट्रिलिया का कुछ भाग ,उत्तर तथा दक्ष्रिण कोरिया ,चीन का उत्तरी भाग तथा रूस के कुछ भाग में दिखाई देगा।
ग्रहण का श्पर्श रात १ बजकर ३१ मिनट पर मध्य रात्रि ३ बजकर १ मिनट तथा मोक्ष रात्रो ४ बजकर ३० मिनट पर होगा
ग्रहण का फल किन राशियों वालो को होगा लाभ और हानि
मेंष -माननाश
वृषभ -म्र्युसंकष्ट
मिथुन -त्री कष्ट
कर्क -सुख
सिंह -चिंता
कन्या -व्यथा
तुला -लाभ
वृच्छिक -हानि
धनु -घात
मकर -व्यय
कुंभ -लाभ
मीन को सुख
ग्रहण सम्बंधित जाने कुछ बाते
अगर आप ने चंद्रग्रहण के दर्शन कर लिया है तो आप को उसके प्रकोप से बचने के लिए क्या क्या करना होगा
ग्रहण स्पर्श होते ही स्नान करे। बाद में ग्रहण काल में होम ,देवपूजन ,ध्यान जप करे। मोक्ष के थोड़े समय पूर्व दान दे तथा मोक्ष होंने पर पुनः स्नान कर कर शुद्ध हो जायें
कुछ लोगो का मानना है की ये सब साइंस है लेकिन जहा तक मुझे मालूम है जो लोग ये बोलते है वो भी मानते है की भगवान् होते है और यहाँ तक डॉक्टर भी बोलते है मुझसे जितना होगा मैं करूँगा उसके बाद बाकी सब भगवान् के हाथ में है।
जब मैं ये आर्टिकल लिख रहा था तब कुछ दोस्तों ने बोला की ये क्या फालतू टॉपिक पर लिख रहा है लेकिन मैं अपने संस्कृति को नहीं भूल सकता। ये हमारे भारत की संस्कृति है की चंद्रग्रहण लगता है और ये हमारे पूर्वज भी हमे बताते थे की चन्द्रमा पर ग्रहण लगता है
वस्तुत: ग्रहण भूच्छाया में प्रवेश व चंद्र बिम्ब के आड़ होने से होता है। यह बात भारतीय विदयानो ने सबसे पहले जानी थी तथा संसार को पढ़ाई है। पुराणों में ये बात आयी है। वे भी अपनी जगह सही है ,उनका उपहास करके ,छात्रों का बुद्धिभेद करके पूर्वजो को तथा कथित लोग अयग भ्रांत ,प्रमादी कहने का अनुचित साहस करक कार्य है शिक्षा में सुधार करना चाहिए ,सब लोग अनेक वषो से कहते हैं करते नहीं है आप इस भ्रम में न पड़े शास्त्र कहता है वैसा करे आप का कल्याण होगा
चंद्रग्रहण आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा ,मंगलवार दिनांक १६ /१७ जुलाई सन २०१९ को उत्तराषाढ़ नक्षत्र ,धनु राशि पर लगने वाला खंड चंद्रग्रहण भारत में द्रश्य होगा। भारत के अतिकृत यह चंद्रग्रहण अफ्रीका, ऑस्ट्रिलिया ,यूरोप। तथा दश्रिण अमेरिका के अधिकांश भाग में दिखाई देगा। न्यूज़ीलैण्ड का कुछ भाग,ओस्ट्रिलिया का कुछ भाग ,उत्तर तथा दक्ष्रिण कोरिया ,चीन का उत्तरी भाग तथा रूस के कुछ भाग में दिखाई देगा।
ग्रहण का श्पर्श रात १ बजकर ३१ मिनट पर मध्य रात्रि ३ बजकर १ मिनट तथा मोक्ष रात्रो ४ बजकर ३० मिनट पर होगा
ग्रहण का फल किन राशियों वालो को होगा लाभ और हानि
मेंष -माननाश
वृषभ -म्र्युसंकष्ट
मिथुन -त्री कष्ट
कर्क -सुख
सिंह -चिंता
कन्या -व्यथा
तुला -लाभ
वृच्छिक -हानि
धनु -घात
मकर -व्यय
कुंभ -लाभ
मीन को सुख
ग्रहण सम्बंधित जाने कुछ बाते
अगर आप ने चंद्रग्रहण के दर्शन कर लिया है तो आप को उसके प्रकोप से बचने के लिए क्या क्या करना होगा
ग्रहण स्पर्श होते ही स्नान करे। बाद में ग्रहण काल में होम ,देवपूजन ,ध्यान जप करे। मोक्ष के थोड़े समय पूर्व दान दे तथा मोक्ष होंने पर पुनः स्नान कर कर शुद्ध हो जायें
कुछ लोगो का मानना है की ये सब साइंस है लेकिन जहा तक मुझे मालूम है जो लोग ये बोलते है वो भी मानते है की भगवान् होते है और यहाँ तक डॉक्टर भी बोलते है मुझसे जितना होगा मैं करूँगा उसके बाद बाकी सब भगवान् के हाथ में है।
जब मैं ये आर्टिकल लिख रहा था तब कुछ दोस्तों ने बोला की ये क्या फालतू टॉपिक पर लिख रहा है लेकिन मैं अपने संस्कृति को नहीं भूल सकता। ये हमारे भारत की संस्कृति है की चंद्रग्रहण लगता है और ये हमारे पूर्वज भी हमे बताते थे की चन्द्रमा पर ग्रहण लगता है

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